Shekhawati University,Sikar

Thursday 17 March 2016

KhatuShyam baba temple mela/fair-devotees of surajgarh offer nishan to baba shyam

KhatuShyam baba temple mela/fair- 367 साल से खाटूधाम के शिखर पर लहराता है सिर्फ इनका निशान



खाटूश्याम का फाल्गुन लक्खी मेला परवान है। मेले के दौरान बाबा श्याम को लाखों निशान चढ़ाए जाएंगे, मगर सूरजगढ़ का निशान सबसे खास है। इससे जुड़ा इतिहास भी बेहद रोचक है। यही वो निशान है, जो मेले के दौरान चढ़ाए जाने के बाद सालभर बाबा श्याम के मुख्य शिखरबंद पर लहराता है। झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ से श्याम भक्त हर साल बड़े उत्साह से गाजे-बाजे के साथ अपनी ही धुन नाचते-गाते खाटू पहुंचकर यह निशान लखदातार का अर्पित करते हैं। इसे सूरजगढ़ वालों के निशान के नाम से जाता है। खास बात यह है कि सूरजगढ़ वालों के इस जत्थे में कस्बे व आस-पास के लगभग 15 हजार से ज्यादा श्रद्धालु शामिल होते हैं। ये श्रद्धालु पैदल ही खाटूधाम पहुंचते हैं। निशान चढ़ाने के बाद पैदल ही घर लौटते हैं। यह परम्परा 367 साल से जारी है।
यह है पहचान
सूरजगढ़ वाला निशान लेकर आने वाले श्रद्घालुओं की अलग ही पहचान है। ज्यादातार श्रद्धालु पगड़ी बांधे होते हैं। इसके अलावा सिर पर सिगड़ी भी रखे होते हैं, जिसमें ज्योत जलती रहती है। कहते हैं कि रास्ते में भले ही आंधी-तुफान या बारिश आए, मगर सिगड़ी में बाबा की ज्योत निरंतर जलती रहती है।
दल सूरजगढ़ से रवाना
सूरजगढ़ से बाबा श्याम का निशान लेकर जत्था रवाना हो चुका है। जत्थे ने कस्बे के वार्ड 18 स्थित पुराने श्याम मंदिर से खाटू धाम के लिए रवानगी ली। निशान पदयात्रा के साथ ढप कलाकार भजन व धमाल गाते हुए चल रहे हैं। पदयात्रा का कस्बे में जगह-जगह फूल बरसा कर स्वागत किया  जा रहा है। इससे पहले सोमवार रात्रि को मंदिर परिसर में जागरण हुआ।  पदयात्रा सूरजगढ़ से सुलताना, गुढ़ा, उदयपुरवाटी, गुरारा, मंढा होते हुए खाटूश्यामजी पहुंचेगी। द्वादशी को यह निशान बाबा श्याम को चढ़ाया जाएगा।
यूं शुरू हुई परम्परा
khatushyambaba temple

दंतकथा है कि सीकर के खण्डेला में बाबा श्याम का एक भक्त था। वह खण्डेला से खाटूधाम निशान लेकर जाता था। उसने एक बार दावा किया था कि बाबा श्याम ने सपने में आकर उसे खण्डेला की बजाय सूरजगढ़ से आकर निशान चढ़ाने को कहा। तब वह भक्त सूरजगढ़ में रहने लगा और वहां से निशान आकर चढ़ाने लगा।
उनके बाद भक्त मंगलाराम यादव और सांवलराम ने सूरजगढ़ की इस परम्परा को आगे बढ़ाया। वर्तमान में भी सूरजगढ़ के लोग सदियों पुरानी यह परम्परा बड़ी श्रद्धा से निभा रहे हैं। यह भी कहा जाता है कि सूरजगढ़ के अमरचंद भोजराजका का परिवार भी 1752 में सूरजगढ़ से प्रथम निशान ले जाकर खाटू चढ़ाया था।

Tuesday 15 March 2016

Khatushyam baba temple mela/fair 2016

Khatushyam baba temple mela/fair 2016:24 hr live darshan to khatushyam temple

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फाल्गुनी लक्खी मेले में सोमवार को बाबा श्याम के सिहांसन को सोने से सजाया गया। बाबा का दरबार कोलकाता से मंगवाए गए गुलाब, चंम्पा, चमेली, रजनीगंधा, मोगरा आदि रंग बिरंगे फूलों से भी महका।
श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहनदास चौहान,मंत्री प्रताप सिंह चौहान व कोषाध्यक्ष श्याम सिंह चौहान ने बताया कि रविवार रात दो बजे से बाबा के सिंहासन को सोने से सजाना शुरू किया था।
सोमवार सुबह पट खुले तो हर कोई बाबा की एक झलक पाने को बेताब दिखा। मेले में श्याम भक्तों की सुविधा को देखते हुए श्री श्याम मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने मंदिर को 24 घंटे खुले रखने का निर्णय लिया है।
कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि 14 मार्च से मेले के समापन तक बाबा का दरबार अनवरत खुला रहेगा। पहले दर्शनों का समय तय था। अब 24 घंटे दर्शन किए जा सकेंगे, जो श्याम दीवानों के लिए बड़ी सौगात है।

Monday 14 March 2016

Khatushyam Baba Temple sikar:1936 में ऐसा था खाटूधाम, पहले यहां भरता था मेला

Khatushyam Baba Temple sikar:1936 में ऐसा था खाटूधाम, पहले यहां भरता था मेला

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खाटूश्यामजी. खाटू...यानी श्याम दीवानों की नगरी। लखदातार का मंदिर और हारे का सहारा बाबा श्याम का दरबार। देशभर से अनगिनत श्रद्धालु इन दिनों आस्था की डोर के सहारे खाटूश्यामजी की ओर बढ़ रहे हैं। हर कोई श्याम दर्शन को बेताब है। यूं तो खाटू का लक्खी मेला 10 मार्च से शुरू हो चुका है। हर ओर से केसरिया ध्वज थामे नाचते-गाते श्रद्धालु अपनी ही धुन में मेले में पहुंच रहे हैं। मुख्य मेला 15 से 20 मार्च तक चलेगा।
khatushyambabamela

श्री श्याम मंदिर कमेटी की स्थापना सन् 1986 में हुई और इसका विधान 1995 में बना। वर्ष दो हजार तक मेला मंदिर परिसर तक ही सीमित था। बाद में यह मुख्य बाजार (कबुतरिया चौक) में भरने लगा। फाल्गुनी मेले पर बढ़ती भक्तों की भीड़ को नियंत्रण करने के लिए तकरीबन तीन सालों से मेला रींगस रोड से चारण मैदान, लामिया तिराहे तक फैल गया।

तब आते थे ऊंटगाड़ी और बैलगाड़ी में

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श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहनदास ने बताया कि खाटूश्यामजी में बाबा श्याम का मंदिर वर्ष 1777 में स्थापित हुआ था। उस दौरान आसपास के क्षेत्रों के गिने चुने लोग ही दर्शन को आते थे। यातायात के साधन के तौर पर ऊंटगाड़ी व बैलगाड़ी ही थे। पैदल भी काफी श्रद्धालु यहां पहुंचते थे। 

श्याम कुण्ड की भी है महिमा अपार

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खाटूधाम में श्याम बाबा के दर्शन करने से पूर्व भक्त श्याम कुण्ड में स्नान कर पुण्य कमाते हैं। भक्तों का कहना है कि इसके पवित्र जल से पापों से मुक्ति मिलती है। 

सैकड़ों से पहुंचे लाखों में

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वर्ष 1980 में भक्तों की संख्या में इजाफा होना शुरू हुआ, जो आज भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सैकड़ों से हजारों और तो श्रद्धालुओं की संख्या लाखों का पार करने लगी है। स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा मुम्बई, कोलकाता आदि से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन करने आते हैं। फाल्गुन माह में भरने वाले मुख्य मेले के साथ मासिक मेले का आयोजन भी किया जाने लगा। श्याम बाबा की पूजा चौहान परिवार आलू सिंह किया करते थे, जिनकी समाधि श्री श्याम बगीची में बनी हुई है। 
best dhramsala in khatushyamji

बदलते दौर के साथ खाटू नगरी की हर गली में मकानों से ज्यादा धर्मशालाओं की संख्या हो गई है। रींगस से लेकर खाटू में अनेको ऐसी धर्मशालाएं है, जिनमें थ्री स्टार होटल की तरह सुख सुविधाएं मौजूद हैं।

श्याम रथ तैयार करते हैं खुदाबख्श

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फाल्गुनी मेले की एकादशमी को नीले घोड़े वाले श्याम सराकर की निकाली जाने वाली रथ यात्रा का शृंगार खाटू के 96 वर्षीय खुदाबख्श करते हैं।  

ये हैं खुदाबख्श

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श्याम रथ का लाइसेंस खुदाबक्श के नाम से बना हुआ है। खुदाबक्श मोहर्रम के दिन ताजिया भी तैयार करते हैं।

Khatushyam Baba Temple:khatu mela 2016 in sikar

Khatushyam Baba Temple:96 साल के मुसलमान खुदाबख्श सजाते हैं बाबा श्याम का रथ

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खाटूश्यामजी.खाटू...यानी श्याम दीवानों की नगरी। लखदातार का मंदिर और हारे का सहारा बाबा श्याम का दरबार। देशभर से अनगिनत श्रद्धालु इन दिनों आस्था की डोर के सहारे खाटूश्यामजी की ओर बढ़ रहे हैं। हर कोई श्याम दर्शन को बेताब है। खाटू का लक्खी मेला 10 मार्च से शुरू हो चुका है। हर ओर से केसरिया ध्वज थामे नाचते-गाते श्रद्धालु अपनी ही धुन में मेले में पहुंच रहे हैं। मुख्य मेला 15 से 20 मार्च तक चलेगा।
 फाल्गुनी मेले की एकादशमी को नीले घोड़े वाले श्याम सराकर की निकाली जाने वाली रथ यात्रा का शृंगार खाटू के 96 वर्षीय खुदाबख्श करते हैं।  श्याम रथ का लाइसेंस भी खुदाबक्श के नाम से बना हुआ है। मेले पर बाबा श्याम के रथ को सजाने वाले खुदाबक्श मोहर्रम के दिन ताजिया भी तैयार करते हैं।
श्री श्याम मंदिर कमेटी की स्थापना सन् 1986 में हुई और इसका विधान 1995 में बना। वर्ष दो हजार तक मेला मंदिर परिसर तक ही सीमित था। बाद में यह मुख्य बाजार (कबुतरिया चौक) में भरने लगा। फाल्गुनी मेले पर बढ़ती भक्तों की भीड़ को नियंत्रण करने के लिए तकरीबन तीन सालों से मेला रींगस रोड से चारण मैदान, लामिया तिराहे तक फैल गया। खाटूधाम में श्याम बाबा के दर्शन करने से पूर्व भक्त श्याम कुण्ड में स्नान कर पुण्य कमाते हैं। भक्तों का कहना है कि इसके पवित्र जल से पापों से मुक्ति मिलती है।
khatu mela2016
तब आते थे ऊंटगाड़ी और बैलगाड़ी में
श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहनदास ने बताया कि खाटूश्यामजी में बाबा श्याम का मंदिर वर्ष 1777 में स्थापित हुआ था। उस दौरान आसपास के क्षेत्रों के गिने चुने लोग ही दर्शन को आते थे। यातायात के साधन के तौर पर ऊंटगाड़ी व बैलगाड़ी ही थे। पैदल भी काफी श्रद्धालु यहां पहुंचते थे।
वर्ष 1980 में भक्तों की संख्या में इजाफा होना शुरू हुआ, जो आज भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सैकड़ों से हजारों और तो श्रद्धालुओं की संख्या लाखों का पार करने लगी है। स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा मुम्बई, कोलकाता आदि से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन करने आते हैं। फाल्गुन माह में भरने वाले मुख्य मेले के साथ मासिक मेले का आयोजन भी किया जाने लगा। श्याम बाबा की पूजा चौहान परिवार आलू सिंह किया करते थे, जिनकी समाधि श्री श्याम बगीची में बनी हुई है।
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धर्मशालाएं भी थ्री स्टार होटल जैसी
बदलते दौर के साथ खाटू नगरी की हर गली में मकानों से ज्यादा धर्मशालाओं की संख्या हो गई है। रींगस से लेकर खाटू में अनेको ऐसी धर्मशालाएं है, जिनमें थ्री स्टार होटल की तरह सुख सुविधाएं मौजूद हैं।
मकानों में आसरा
फाल्गुनी मेले केपहले की खाटू की सभी धर्मशालाएं, होटल और गेस्ट हाऊस भर चुके हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालु मकानों का आसरा लेते हैं। कई भक्त अपने जान पहचान के लोगो के घरों में ठहरते हैं। मेले के दौरान कस्बे के अधिकांश लोग अपने घरों को किराए पर देते हैं। जिसमें दो से तीन परिवार आकर ठहरते हैं। मकान मालिक पंाच से दस हजार तक एक परिवार से लेते हैं।

Khatushyam baba temple in pakistan

Khatushyam baba temple in pakistan:पाकिस्तान में भी भर रहा बाबा श्याम का मेला, इन तीन शहरों में हैं मंदिर



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खाटूश्यामजी:लखदातार बाबा श्याम का जलवा सरहद पार भी रोशन है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के तीन शहरों में बाबा श्याम के मंदिर हैं। ये मंदिर हैदराबाद, कराची तथा पसनी में हैं। एकादशी पर 19 मार्च को इन तीनों ही जगहों पर मेला भरेगा। हजारों भक्त इन मेलों में शिरकत करते हैं और शीश झुकाकर मनौती मांगते हैं।
इसका प्रसार प्रसार फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए दोनों देशों के श्याम भक्त आदान प्रदान कर रहे है। हालांकि खाटूधाम में मेले के दौरान लाखों भक्त दर्शनार्थ आते हैं मगर पाकिस्तान के इन मंदिरों में भक्तों की संख्या हजारों में ही है। वहां हिन्दू ही नहीं मुस्लिम भी बाबा श्याम के मुरीद हैं।
पाकिस्तान के हैदराबाद, करांची और पसनी में बाबा श्याम के मंदिर हैं। इन तीनों ही शहरों बाबा का मेला भरता है। करांची के रणछोड़ शहर में स्थित श्याम मंदिर के पुजारी प्रदीप एडिवाल ने बताया कि इस मंदिर को बने तकरीबन 8 वर्ष हो गए हैं। 19 से 21 मार्च तक श्याम मंदिर में मेला आयोजित होगा। हैदराबाद में श्याम मंदिर की स्थापना को तकरीबन 25 वर्ष हो गए हंै और पुजारी आशानंद श्याम की सेवा करते हैं। वहीं पसनी में श्याम मंदिर किशोर बाबा श्याम की पूजा अर्चना करते है। 
पाकिस्तान में स्थित श्याम मंदिरों में आयोजित होने वाले मेले के दौरान लखदातार का भव्य शृंगार कर रथयात्रा निकाली जाती है। यात्रा में भारी संख्या में श्याम भक्त हिस्सा लेते हैं और हाथों में श्याम ध्वजा लेकर ढोल ताशों पर श्याम भजन गाते हुए रंग गुलाल उड़ाते हैं।

Thursday 10 March 2016

Khatu Shyam Bhajan and Aarti

1) Shri Shyam Aarti 


2) Shri Shyam Vinati, ( a prayer or bhajan)



Shyam Baba Aarti 

Om jai shri shyam hare, baba jai shri shyam hare
Khatu dham virajat, anupam roop dhare, Om jai shri shyam hare…
Ratan jadit singhasan, sir per chanvar dule
Tan keshariya baago, kundal shravan pade, Om jai shri shyam hare…
Gal pushpon ki maala, sir par mukut dhare
Khevat dhoop agni par, deepak jyoti jale, Om jai shri shyam hare…
Modak kheer choorma, suvaran thaal bhare,
Sevak bhog lagaave, seva nitya kare, Om jai shri shyam hare…
Jhanj katora aur ghadiyaaval, shankh mridang dhure,
Bhakt aarti gaave, jay jay kaar kare, Om jai shri shyam hare…
Jo dhyave phal paave, sab dukh se ubare,
Sevak jan nij mukh se, shri shyam shyam uchare, Om jai shri shyam hare…
Shri shyam bihariji ki aarti, jo koi nar gave
Kahat alusingh swami, manvanchit phal paave, Om jai shri shyam hare…
Om jai shri shyam hare Ooo, baba jai shri shyam hare,
Nij bhakton ke tumne, pooran kaaj kare, Om jai shri shyam hare…

The vinati (Shyam puspanjali)

Haath jod vinati karu, sunjyo chit lagaye
Das aa gayo sharan main, rakhiyo iski laaj
Dhanye dhudharo desh hain, khatu nagar sujan
Anupam chavi shri shyam ki, darshan se kalian
Shyam shyam to main ratu, shyam hain jeevan pran
Shyam bakht jag main bade, unko karu pranam
Khatu nagar ke beech main, banyo aapko dham
Phalgun shukla mela bhare, jai jai baba shyam
Phalgun shukla dwadshi, utsav bhari hoye
Baba ke darbar se, khali jaye na koye
Umapati laxmipati, sitapati shri ram
Lajja sabki rakhiyon, khatu ke shri shyam
Paan supari ilachi, atar sugandhit bharpur
Sab bhaktan ki vinti, darshan devo hazoor
Alusingh to prem se, dhare shyam ko dhyan
Shyam Bhakt pave sada, shyam kripa se maan
“BOLO Khatu SHYAM PRABHU KI JAI”
“LELE KE SAWAR KI JAI”
“SHISH KE DANI KI JAI”

Khatu Shyam Bhajan :Lelo charan sharan me

Khatu Shyambaba Bhajan :Lelo charan sharan me

बोलो जय-जय जय श्री श्याम
लेलो चरण शरण में,आये हैं द्वार तुम्हारे…..
लेलो चरण शरण में,आये हैं द्वार तुम्हारे
करेंगे सेवा तेरी,बालक हैं हम तो तुम्हारेKhatu shyam ji
लेलो चरण शरण में,आये हैं द्वार तुम्हारे…..
घटोत्कच मोरवीनंदन,खाटू के श्याम बिहारी
करें हम तेरा वंदन.,कलयुग के भव-भयहारी
दानी हो तुम दातारी,हारे के हो सहारे
लेलो चरण शरण में,आये हैं द्वार तुम्हारे..
जग में है चर्चा तेरी,महिमा है तेरी भारी..
देव हो तुम बलकारी,भक्तों को हो हितकारी
आते जो दर पे सवाली,उनके तो वारे न्यारे.
लेलो चरण शरण में,आये हैं द्वार तुम्हारे….
मांगू क्या तुमसे बोलो,तुम तो हो लाखदातारी
मालिक हो स्वामी मेरे,चाहूँ मैं नज़र तुम्हारी
‘टीकम’ जाये बलिहारी,चरणों को तेरे निहारे
लेलो चरण शरण में,आये हैं द्वार तुम्हारे…

KhatuShyam Phalgun Mela Bhajan

श्री श्याम मेला भजन – Shri Shyam Falgun Mela Bhajan



रिंग्स में मिलेंगे लाखों श्याम दीवानें,
पैदल चलकर जाते है श्याम के दर्शन पाने,
खाटू में ऐसी बहार देखो,
लो माथा टेको करिश्मा देखो| जय श्री श्याम !!
हर फागण में हम पहुँचे खाटू धाम,
हाथो में निशान, सामने मेरा श्याम,
छोटा सा परिवार, सब को तुम से प्यार,
पास हमारे जो कुछ, तेरा ही उपकार | जय श्री श्याम !!
तेरे चरणों में रोज़ हम वंदन किया करें,
सुबह से श्याम सिर्फ तेरा सुमिरन किया करें,
हर घडी चाहे तुझे, चाहे सुख या दुःख मिले,
जब तक है जीवन, बस बाबा तेरा नाम लिया करें| जय श्री श्याम|
हे कलयुग अवतारी, हमको भी खाटू बुलाना,
अपने दर्शन देना, हमारी प्यास बुझाना,
तू है कलयुग का अवतारी,
तेरी सदा ही जय हो खाटू श्याम बिहारी| जय श्री श्याम|

Wednesday 9 March 2016

Khatushyam baba mela/fair 2016 starts today

Khatushyam baba mela/fair 2016-कड़ी सुरक्षा के बीच आज से शुरू होगा खाटू का लक्खी मेला

khatushyam baba mela 2016 starts today


खाटूश्यामजी. लखदातार बाबा श्याम का फाल्गुन लक्खी मेला औपचारिक तौर पर गुरुवार से शुरू होगा। बंगाल के कारीगरों ने मंदिर परिसर का आकर्षक ढंग से सजाया गया है। प्रशासन ने सुरक्षा व मूलभूत सुविधाओं की तैयारियों को बुधवार को अंतिम रूप दिया। मुख्य मेला 18 मार्च को भरेगा।

बाबा श्याम के मेलें के लिए रींगस से लेकर सरकारी पार्किंग तक भण्डारे लगाए जा रहे है । प्रशासन ने इस बार ग्राम में भण्डारों की अनुमती नहीं दी है। 15 किलोमीटर के इस मार्ग पर करीब दर्जनों भण्डारे लगेंगें । भण्डारों के लिए पाण्डाल लगभग तैयार हो गए ।
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इन भण्डारों में चाय, नाश्ता, फल आदि से से लेकर भोजन, आवास व चिकित्सा आदि की सुविधा भी रहती है । तो कई भण्डारों में जलपान, आईसक्रीम, संतरा, गन्ना का ज्यूस,टॉफी, बिस्किट आदि की व्यवस्था की जाती है ।
khatushyam baba temple mela 2016 starts

बाबा श्याम के दरबार में भक्तों की संख्या बढऩे के साथ ही मेला अवधि को भी बढ़ाया गया है।। पहले मेला एकादशी को हुआ करता था। उसके बाद दो दिन तथा पांच साल पहले तक दशमी, एकादशी व द्वादशी का मेला लगता था। इसके बाद एक एक दिन बढ़ाते बढ़ाते इस बार मेला ग्यारह दिन का कर दिया है। दस से बीस मार्च तक चलेगा।
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मेले को लेकर बाजार में दुकाने सजकर तैयार हो गई है। मेले में खान पान, चूरन, सुखी सब्जी, खिलौने,साडिय़ा, रजाई,कुर्ता पजामा व अन्य रेडिमेड कपड़े, रंग-गुलाल, सिन्दुर आदि अनेक प्रकार की दुकाने लगी है। मनोंरजन के लिए झूले, सर्कस आदि भी लगाए जा रहे है।
khatushyam baba temple mela 2016

Wednesday 2 March 2016

Khatu Shyam mela/Fair 2016-Pilgrims sailed to Khatu Dham from Kota

KhatushyamBaba Mela 2016video : पैदल आस्या जी सांवरिया खाटूधाम नगरी


Khatu Shyam mela/Fair 2016-Pilgrims sailed to Khatu Dham from Kota0

कोटा. श्रीश्याम परिवार के तत्वावधान में मंगलवार को पदयात्रियों का एक दल खाटूधाम के लिए रवाना हुआ। श्याम बाबा के रंगों में रंगी श्रद्धालुओं की यह टोली शोभायात्रा के रूप में रावतभाटा रोड स्थित रामधाम आश्रम से रवाना हुई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
शोभायात्रा दादाबाड़ी, सीएडी चौराहा, शोपिंग सेंटर, गुमानपुरा, रामपुरा होते हुए नयापुरा पहुंची। इस दौरान श्याम भजन-कीतर्न का दौर चलता रहा। पैदल आस्यां जी सांवरिया खाटू धाम नगरी.., चालो चालो रे खाटू धाम.., चली-चली रे भक्तों की टोली... सरीखे भजन गूंजते रहे।

शोभायात्रा में धर्म पताका लहराते घुड़सवार, फूलों से लदी ऊंट गाड़ी, बाबा की मनोहर झांकी, भजन मंडली व बड़ी संख्या में श्रद्धालु चल रहे थे। भजन गायक संजय गोयल व अन्य ने भजनों की रसधार बहाई।
शोभायात्रा के नयापुरा पहुंचने पर स्वागत सत्कार और जयकारों के बीच पदयात्री खाटूधाम के लिए रवाना हुए। श्याम परिवार के महासचिव महेन्द्र मसांका व कोषाध्यक्ष विजय चतुर्वेदी व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
18वें दिन करेंगे बाबा के दर्शन
श्याम परिवार के अध्यक्ष नीरज अग्रवाल ने बताया कि यहां से करीब 20 लोग रवाना हुए हैं। मार्ग में और लोग जुड़ते चले जाएंगे। श्रद्धालु करीब 340 किलोमीटर पैदल यात्रा कर 18 को खाटूधाम पहुंचेंगे। इस दौरान 16 से 18 मार्च तक लापुआ ग्राम में संस्था की ओर से भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

khatu shyam mela 2016 starts from 15 march

KhatuShyam Baba Temple Mela/Fair 2016


khatu shyam mela 2016 starts from 15 march0


खाटू श्यामजी। बाबा श्याम का फाल्गुनी लक्खी मेला 15 से 20 मार्च तक आयोजित होगा। मेले की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। श्री श्याम मंदिर कमेटी कई दिनों से भक्तों की हर सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयारी में जुटी हुई है। 

महाभारत का युद्ध भारत के इतिहास की बड़ी घटना है। इसी युद्ध ने कई शूरवीरों को असमय ही यमलोक भेज दिया तो यही युद्ध गीता के उद्भव का कारण बना। साथ ही एक वीर का श्याम रूप में उदय होना भी महाभारत की देन है। जब महाभारत का युद्ध होना निश्चित हो चुका था तब बर्बरीक की मुलाकात कृष्ण से हुई। 


बर्बरीक भीम का पोता एवं घटोत्कच का पुत्र था। वह युद्ध में भाग लेना चाहता था। उसने नौ दुर्गाओं की तपस्या की थी और उसके पास तपस्या से अर्जित तीन दिव्य बाण थे। इनसे वह सभी योद्धाओं का संहार कर सकता था। कृष्ण ने दूरदर्शिता से यह अनुमान लगा लिया कि इस वीर के युद्ध में शामिल होने से भयंकर विनाश होगा। साथ ही पांडवों की विजय भी संकट में पड़ जाएगी, क्योंकि बर्बरीक ने प्रतिज्ञा की थी कि वह उसी पक्ष की ओर से युद्ध करेगा, जो कमजोर होगा।

कमजोर को विजयी बनाना उसका लक्ष्य होगा, ताकि निर्बल के साथ अन्याय न हो। श्रीकृष्ण सत्य की रक्षा के लिए पांडवों की विजय चाहते थे। वे जानते थे कि कौरवों की हार होगी। इस स्थिति में अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल होता तो वह उनका पक्ष ले सकता था। इससे पांडवों की विजय संदिग्ध थी। 

khatushyam nishan

बर्बरीक सिर्फ महान योद्धा ही नहीं था। वह उच्च कोटि का दानवीर था। अपने द्वार पर आए याचक को कभी खाली हाथ नहीं जाने देता। तब  कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश बनाया और उससे तीन बाणों का रहस्य पूछा। बर्बरीक ने कहा, मैं इन तीनों बाणों से समूची सेना को मृत्यु के मुख में पहुंचा सकता हूं। कृष्ण ने उसे यह सिद्ध करने के लिए कहा। 

बर्बरीक उन्हें पीपल के एक वृक्ष के पास ले गया। वहां कृष्ण ने वृक्ष का एक पत्ता तोड़कर अपने पैर तले छुपा लिया। बर्बरीक ने तीर चलाया और वृक्ष के सभी पत्ते चिह्नित हो गए। उसने दूसरा तीर चलाया तो सभी पत्ते तीर से बिंध गए। जो पत्ता कृष्ण के पैर तले था, तीर उसे भी बींधने चला गया। 

उनके पैर हटाने के बाद तीर ने पत्ते को बींध दिया। इस घटना से कृष्ण चिंतित हो गए, क्योंकि इतनी शक्तियों का स्वामी बर्बरीक बहुत शीघ्र युद्ध का अंत कर सकता था और सभी योद्धाओं को मृत्यु की गोद में पहुंचा सकता था। 

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कृष्ण अपने वास्तविक स्वरूप में आए और बर्बरीक से दान में उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक ने बेहिचक उनकी बात मान ली, परंतु एक इच्छा भी जताई। वह कृष्ण के दिव्य स्वरूप के दर्शन करना चाहता था। भगवान ने यह इच्छा पूरी की।

बर्बरीक संपूर्ण युद्ध देखना चाहता था। श्रीकृष्ण ने उसकी यह मांग भी स्वीकार कर ली। उस युग में फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को बर्बरीक ने पूरी रात भगवान के नाम का स्मरण किया और अगले दिन यानी द्वादशी को शीश का दान दिया। 

श्रीकृष्ण के वरदान तथा अमृत से सींचने के कारण यह शीश अमर हो गया। युद्ध समाप्ति के बाद जब पांडवों में इस बात को लेकर बहस हुई कि किस वीर की वजह से यह विजय मिली है तो कृष्ण ने उन्हें इसका निर्णय करने के लिए बर्बरीक का नाम सुझाया, क्योंकि उसी ने संपूर्ण युद्ध देखा था।

khatushyamnishan

पांडव बर्बरीक के पास गए और उससे प्रश्न किया। बर्बरीक ने कहा, मुझे तो युद्धभूमि में सभी जगह भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र ही नजर आ रहा था। शेष वीर तो निमित्त मात्र थे। भगवान कृष्ण बर्बरीक की दानशीलता, सच्चाई और निष्पक्षता से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बर्बरीक को अपना श्याम नाम वरदान में दे दिया। साथ ही कलियुग में इसी नाम से पूजित होने का आशीर्वाद दिया। 

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्यामजी में बाबा श्याम का मंदिर है। यहां हर माह की एकादशी व द्वादशी को दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। फाल्गुन मास में यहां विशाल मेला भरता है। तब एकादशी और द्वादशी को लाखों लोग बाबा के दर्शन करते हैं। द्वादशी के दिन श्याम भक्त अपने बाबा की ज्योति लेते हैं और उन्हें खीर-चूरमे का भोग लगाते हैं।
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